कहानी काज़ीरंगा राष्ट्रीय उद्यान
अनवी की सहासिक और रोमांच भरी यात्राओं के
संस्मरण सभी को बहुत रोमांचित करते थे|इस बार अनवी की अगली यात्रा काज़ीरंगा
राष्ट्रीय उद्यान की थी।अनवी ने इस
उद्यान के बारे में जो जानकारी इक्कठी की वह इस प्रकार है:-
यह उद्यान एक सींग का गैंडे (भारतीय गैंडे) के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है। काज़ीरंगा
राष्ट्रीय उद्यान 430 वर्ग
किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला है। इस उद्यान में भारतीय एक सींग वाले गैंडे (राइनोसेरोस, यूनीकोर्निस) का
निवास है। काजीरंगा को वर्ष १९०५ में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था। सर्दियों में यहाँ
साइबेरिया से कई मेहमान पक्षी भी आते हैं, हालाँकि इस दलदली भूमि का धीरे-धीरे ख़त्म होते जाना एक गंभीर समस्या है। काजीरंगा में विभिन्न प्रजातियों के बाज, विभिन्न प्रजातियों की चीलें और तोते आदि भी पाये जाते हैं।
इस राष्ट्रीय
उद्यान का प्राकृतिक परिवेश वनों से युक्त है, जहाँ बड़ी एलिफेंट ग्रास, मोटे वृक्ष, दलदली स्थान और उथले तालाब हैं। एक सींग
वाला गैंडा, हाथी, भारतीय भैंसा, हिरण, सांभरभालू, बाघ,चीते, सुअर, बिल्ली, जंगली बिल्ली, हॉग बैजर लंगूर, हुलॉक, गिब्बन, भेड़िया, साही, अजगर और अनेक प्रकार की चिडियाँ, जैसे- 'पेलीकन'बतख, कलहंस, हॉर्नबिल, आइबिस, जलकाक, अगरेट, बगुला, काली गर्दन वाले स्टॉर्क, लेसर एडजुलेंट, रिंगटेल फिशिंग ईगल आदि बड़ी संख्या में
पाए जाते हैं।काज़ीरंगा राष्ट्रीय उद्यान न केवल भारत में वरन् पूरे विश्व में एक सींग वाले गैंडे के लिए
प्रसिद्ध है। यह राष्ट्रीय उद्यान असम का एकमात्र राष्ट्रीय उद्यान है। यह केंद्रीय असम में
स्थित है। उद्यान उबड़-खाबड़ मैदानों, लम्बी-ऊँची घासों, आदिवासियों और भयंकर दलदलों से पूर्ण कुल 430 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है| काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान असम के
गोलाघाट और नागांव जिलों में फैला है। पूर्वी हिमालय जैव विविधता हॉटस्पॉट के
किनारे पर स्थित, पार्क
उच्च प्रजाति विविधता और दृश्यता को जोड़ता है|काजीरंगा में लंबा हाथी घास, मार्शलैंड, और घने उष्णकटिबंधीय नम ब्रॉडलीफ
जंगलों का विशाल विस्तार है| ब्रह्मपुत्र समेत चार प्रमुख
नदियों द्वारा पार किया गया है, और पार्क में पानी के कई छोटे निकायों शामिल हैं। काजीरंगा
कई किताबों, गीतों
और वृत्तचित्रों का विषय रहा है। पार्क क्षेत्र को ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे 152 किमी तक बढ़ा दिया गया था।
हाल के दशकों में काजीरंगा कई प्राकृतिक और मानव निर्मित आपदाओं का लक्ष्य रहा है। ब्रह्मपुत्र नदी के अतिप्रवाह के कारण बाढ़ में पशु जीवन का काफी नुक्सान हुआ|यद्यपि काजीरंगा नाम की व्युत्पत्ति निश्चित नहीं है, स्थानीय किंवदंतियों और अभिलेखों से प्राप्त कई संभावित स्पष्टीकरण मौजूद हैं। एक पौराणिक कथा के अनुसार, पासबी गांव से रावणा नाम की एक लड़की, और कार्बी एंग्लोंग से काजी नाम का एक युवक प्यार में गिर गया। यह रिश्ता उनके परिवारों के लिए स्वीकार्य नहीं था| और यह जोड़ा जंगल में गायब हो गया, कभी भी फिर से नहीं देखा गया, और जंगल का नाम उनके नाम पर रखा गया। एक और पौराणिक कथा के अनुसार, सोलेंटा शंकरदेव, सोलहवीं शताब्दी वैष्णव संत-विद्वान थे| एक बार एक बेघर जोड़े, काजी और रंगई को आशीर्वाद दिया, और उनसे इस क्षेत्र में एक बड़ा तालाब खोदने के लिए कहा ताकि उनका नाम अमर रहे। यह क्षेत्र ब्रह्मपुत्र नदी से घिरा हुआ है, जो उत्तरी और पूर्वी सीमाओं का निर्माण करता है, और मोरा डिफ्लू, जो रूप, दक्षिणी सीमा में पार्क के भीतर अन्य उल्लेखनीय नदियां दीफ्लू और मोरा धनसिरी हैं। काजीरंगा उपजाऊ, जलोढ़ मिट्टी के फ्लैट विस्तार, ब्रह्मपुत्र नदी द्वारा कटाव और गाद बयान द्वारा गठित है
पार्क में तीन मौसम होते हैं: गर्मी, मानसून, और सर्दी। बाढ़ से ज्यादातर जानवर पार्क के दक्षिणी सीमा के बाहर ऊंचे और जंगली इलाकों में स्थानांतरित हो जाते हैं, जैसे कि मिकिर पहाड़ियों। 2012 के अभूतपूर्व बाढ़ में 13 गैंडों और ज्यादातर हॉग हिरण सहित 540 जानवरों की मौत हो गई। कभी-कभी सूखा भी समस्याएं पैदा कर देता है| जैसे खाद्य की कमी और कभी-कभी जंगल की आग।यहाँ 35 स्तनधारी प्रजातियों की महत्वपूर्ण प्रजनन आबादी है। उद्यान में ग्रेटर वन-हॉर्नड राइनोसेरोस की दुनिया की सबसे बड़ी आबादी का घर होने का गौरव है जंगली एशियाई पानी भैंस, पूर्वी दलदल वाले हिरण, बड़ी जड़ी-बूटियों वाली महत्वपूर्ण आबादी में हाथियों ,गौर और सांभर शामिल हैं। छोटे जड़ी-बूटियों में भारतीय मंटजेक, जंगली सूअर, और हॉग हिरण शामिल हैं।काजीरंगा अफ्रीका के बाहर कुछ जंगली प्रजनन क्षेत्रों में से एक है जो बड़ी बिल्लियों, जैसे कि बेंगल बाघ और तेंदुए की कई प्रजातियों के लिए है। अन्य फेलिड में जंगल बिल्ली, मछली पकड़ने की बिल्ली और तेंदुए बिल्ली शामिल हैं। छोटे स्तनधारियों में दुर्लभ हर्पीड हरे, इंडियन ग्रे मोंगोज़, छोटे भारतीय मोंगोस, बड़े भारतीय सिवेट, छोटे भारतीय सिवेट, बंगाल फॉक्स, गोल्डन जैकल, स्लॉथ बीयर, चीनी पांगोलिन, इंडियन पांगोलिन, हॉग बैजर, चीनी फेरेट बैजर और कण उड़ने वाली गिलहरी शामिल हैं। भारत में पाए जाने वाली 14 प्राइमेट प्रजातियों में से नौ पार्क में होती है। उनमें से प्रमुख असमिया मैकक्यू, कैप्ड और गोल्डन लैंगूर, साथ ही साथ भारत में पाए जाने वाले एकमात्र एप, हूलॉक गिब्बन भी हैं। काजीरंगा की नदियां भी लुप्तप्राय गंगा डॉल्फिन का घर हैं।
काजीरंगा को बर्ड लाइफ इंटरनेशनल द्वारा एक महत्वपूर्ण पक्षी क्षेत्र के
रूप में पहचाना गया है।यह विभिन्न प्रकार के प्रवासी पक्षियों, पानी के पक्षियों, शिकारियों, सफाई करने वालों और खेल पक्षियों का घर
है। सर्दियों के दौरान कम से कम सफेद-सामने वाले हंस, फेरुगिनस बतख, बायर के पोचर्ड बतख और कम सहायक, अधिक सहायक, काले-गर्दन वाले स्टॉर्क और एशियाई ओपनबिल
स्टोर्क जैसे पक्षी मध्य एशिया से पार्क में जाते हैं। रिवरिन पक्षियों में ब्लीथ
के किंगफिशर, व्हाइट-बेलीड हेरॉन, डाल्मेटियन पेलिकन, स्पॉट-बिल पेलिकन, नॉर्डमैन के ग्रीन्सहैंक, और ब्लैक-बेलेड टर्न शामिल हैं। शिकार के
पक्षी दुर्लभ पूर्वी शाही, अधिक दिखने वाले, सफेद- पूंछ, पलास की मछली ईगल, भूरे रंग की मछली ईगल, और कम केस्ट्रल। काजीरंगा एक बार गिद्धों की सात प्रजातियों का घर था, लेकिन गिद्ध की जनसंख्या विलुप्त होने के
पास पहुंच गई| केवल भारतीय गिद्ध, पतला-गिद्ध गिद्ध, और भारतीय सफेद-रस्सी वाली गिद्ध जीवित रही है। खेल पक्षियों में थेस्वाम्प
फ़्रैंकोलिन, बंगाल फ्लोरिकन, और पीले-कैप्ड कबूतर शामिल हैं। काजीरंगा में रहने वाले पक्षियों के अन्य
परिवारों में महान भारतीय हॉर्नबिल और पुष्पित हॉर्नबिल, पुराने विश्व बब्बलर जैसे कि जेर्डन और
मार्श बब्बलर्स, बुनाई पक्षियों जैसे आम बाया वीवर, ने फिन के बुनकरों को धमकी दी, होडसन के बुशचैट और पुराने विश्व
युद्धपोतों जैसे थ्रस्टेड ग्रासबर्ड। अन्य खतरनाक प्रजातियों में ब्लैक ब्रेस्टेड
तोतेबिल और रूफस-वेंटेड घास बब्बलर शामिल हैं।
दुनिया में सबसे बड़े सांपों में से दो, रेटिक्यूलेटेड पायथन और रॉक पायथन, साथ ही दुनिया में सबसे लंबा विषैला साँप, राजा कोबरा, पार्क में रहते हैं। यहां पाए गए अन्य
सांपों में इंडियन कोबरा, मोनोकलेड कोबरा, रसेल के वाइपर और आम क्रेट शामिल हैं। पार्क में पाए गई छिपकली प्रजातियों की
निगरानी में बंगाल मॉनिटर और एशियाई जल मॉनिटर शामिल है। अन्य सरीसृपों में कछुए
की पंद्रह प्रजातियां शामिल हैं, जैसे स्थानिक असम छत वाले कछुए और कछुए की
एक प्रजाति, भूरे रंग के कछुआ| टेट्राओडॉन समेत क्षेत्र में मछली की 42 प्रजातियां पाई
जाती हैं।
इस पार्क में चार मुख्य प्रकार की वनस्पतियां मौजूद हैं। ये जलोढ़ गंदे घास
के मैदान, जलोढ़ सवाना वुडलैंड्स, उष्णकटिबंधीय नम मिश्रित पर्णपाती जंगलों, और उष्णकटिबंधीय अर्ध सदाबहार जंगल हैं।
निकटतम रेलवे स्टेशन रोवराह है। जोरहाट
हवाई अड्डा 97 किलोमीटर है|सैलोनिबारी में तेजपुर हवाई अड्डा लगभग 100
किलोमीटर दूर है), दीमापुर हवाई अड्डा 172किलोमीटर और गुवाहाटी में लोकप्रिया गोपीनाथ बोर्डोली
अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे लगभग 217 किलोमीटर दूर है| गुवाहाटी से परिवहन भी उपलब्ध
है।
इन सभी पशु पक्षियों में अनवी को उड़ने वाली गिलहरी बहुत पसंद आई| उड़न गिलहरी (Flying squirrel), जिसको वैज्ञानिक भाषा में टेरोमायनी (Pteromyini) यापेटौरिस्टाइनी (Petauristini) कहते हैं| कृंतक (रोडेंट, यानि कुतरने वाले जीव) के परिवार के जंतु हैं जो पाल उड़न (ग्लाइडिंग) की क्षमता रखते हैं। इनकी विश्व भर में ४४ वैज्ञानिक जातियाँ हैं| इनमें १२ जातियाँ भारत में पाई जाती हैं। वनों में इनका जीवनकाल लगभग ६ वर्ष का होता है लेकिन चिड़ियाघर जैसी सुरक्षित जगह पर इन का जीवन काल १५ वर्ष तक का हो सकता है|
अनवी अपनी सहेली लाल चिड़िया के साथ काजीरंगा के नजदीक एक गाँव में ठहरी| गाँव वालों से उसने ढेर सारी बातें की | काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के नाम की उत्पत्ति के बारे में कई कहानियां सुनी। पार्क के दक्षिण में स्थित कार्बी-एंग्लोंग पहाड़ियां है । करबी भाषा में काज़ी शब्द का अर्थ है 'बकरी' और रंगई का अर्थ है 'लाल' - लाल हिरण की भूमि। एक और पौराणिक कथा है कि वैष्णव धर्म के संस्थापक महात्मा शंकरदेव वर्तमान में काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के अंदर नर्मोरा बील (झील) के पास डेरा डाले हुए थे। उनके पास अनेकों श्रधालू रोज आते थे,जो उनकी सन्गत का लाभ और अपने दुखों के निवारण के उपाय पुछते थे| एक कर्बी को कोई संतान नहीं थी|उन्होंने महात्मा की खूब सेवा की| महात्मा ने सेवा से खुश हो कर उन को एक केला दिया और अपनी पत्नी को खिलाने को कहा| महात्मा के कहे अनुसार कर्बी ने केला अपनी पत्नी को खाने को दे दिया| दुसरे दिन कर्बी फिर से महात्माजी के पास आये तो उन्होंने बताया की आप को लड़की होगी और उसी के नाम से यह जगह विख्यात होगी| कर्बी इतनी गुणवान लड़की पा कर बहुत खुश हुआ| समय आने पर कर्बी को पुत्री हुई| और उसका लालन पालन बहुत अच्छी तरह से हुआ|उसका नाम काजी रखा गया|एक अन्य ज्योतिषी ने कारबी के हाथ की रेखाओं को पढ़ कर बताया की काजी को प्रेमयोग है|उसे देखते ही ज्योतिषी ने बताया की यह काजी प्रेम में दीवानी को कर दर-दर भटकती फिरेगी|यह अपने अमर प्रेम से दुनियां को दिखायेगी की इन का प्रेम दुनियां में अमर रहेगा|
ज्योतिषी की भविष्यवाणी से सतर्क को कर्बी ने काजी को पढ़ने के लिए घर में ही प्रबंध किया|और हर ऐसी घटना से दूर रखने का प्रयास किया जो काजी को प्रेम पास से दूर रखे|एक दिन एक सब्जी बेचने वाला वहां आया और उससे आस पास की औरतों और लड़कियों ने सब्जी खरीदी| काजी खिड़की में से यह सब देख रही थी| उस लडके का नाम रंगा था| रंगा को देख कर काजी उसके प्रेम पास में फस गई| रंगा को जब भी मौका मिलता उसकी खिड़की के सामने सब्जी बेचने की आवाज लगाता |उस आवाज को सुन काजी सब काम छोड़ खिड़की पर आ जाती|घंटों उसको निहारती रहती|आखिर प्यार को पंख लगे और पूरे गाँव में काजी और रंगा की प्यार की चर्चा होने लगी| कर्बी को जब इस का पता चला तो उसने काजी को बहुत समझाया परन्तु कोई लाभ नहीं हुआ|
गाँव में काबिले के सरदार और उसकी लड़की की ही चर्चा होने लगी|आखिर में कर्बी ने रंगा के गाँव में आने पर प्रतिबंध लगा दिया|क़ाज़ी घर से बाहर नहीं निकल सकती थी| अब काजी बड़ी हो चुकी थी|कर्बी ने अम्बुबाची पूजा का कार्यक्रम बनाया और अपने परिवार सहित माँ कामाख्या के मंदिर में पहुंचा| माँ कामाख्या के मंदिर में जाति, धर्म और अन्य किसी भेदभाव के सभी कन्याए वन्दनिये है| वहां अमीर और गरीब सभी की लड़कियों को एक साथ पूजा में भाग लेने दिया जाता है| किसी भी प्रकार का भेद भाव करने से पूजा असफल मानी जाती है| मंदिर के बाहर दूर दराज से आये साधक अपनी सिद्धियों की साधना में व्यस्त रहते है|
उधर रंगा अपने प्यार को न पाने पर टूट चूका था| वह दर दर को ठोकर खाने लगा| अन्त में वह एक साधक की शरण में आया| रंगा ने उस साधक की बहूत सेवा की| सेवा से खुश हो साधक ने उसे अपना चेला बनाया और तंत्र साधना सिखाई| रंगा तंत्र साधना में निपुण हो चुका था| अन्य साधको की तरह वह भी अपनी तन्त्र विद्या का पुनर्मार्जन कर रहा था| तभी उसकी नजर काजी पर पड़ी| काजी और रंगा एक दूसरे को देख काफी खुश हुए| काजी अपने पर लगे प्रतिबन्ध भूल चुकी थी| इस खुल्मखुल्ला प्यार से कर्बी को बहुत ग़ुस्सा आ गया| उसने काजी को घर में ला कर जंजीरों में बांध दिया| रंगा लाल चिड़िया बन कर काजी की खिड़की से अन्दर प्रवेश कर गया| और काजी से प्यार भरी बातें कर उस को ढाढस बंधाया|काजी किसी से बात कर रही थी| कर्बी ने बार बार उस से पूछा की वह किस से बतिया रही थी| कुछ भी ना बताने पर काजी को काफी यातनाये दी गई| अब रंगा ने क़ाज़ी के घर आना बंद कर दिया|वह रात्री को क़ाज़ी को अपनी तंत्र विद्या के प्रभाव से तितली बना कर घर से बाहर निकलता और दोनों जंगल में रंगा की कुटिया में अपनी राते बिताने लगे|
कुछ समय के बाद काजी बीमार हो गयी और जांच पर पाया गया की क़ाज़ी गर्भवती हो गई है| बिन ब्याही लड़की के गर्भवती होने पर पूरे गाँव में भूचाल सा आ गया| बदनामी के डर से कर्बी ने काजी को मारने की योजना बनाई| समय रहते रंगा को इस बात का पता चल गया और इस बात को पूरे गाँव में फैला दिया| पूरे गाँव में इस बात का विरोध होने लगा| काजी ने परिस्थियों को भांप कर वहां से भाग जाना ही उचित समझा| वह दिन के उजाले में ही घर से निकल पड़ी| किसी को उस का विरोध करने की हिम्मत नहीं हुई| वह घने जंगल में चलती गई और आगे उसे रंगा मिल गया|कर्बी और उसके सभी आदमियों ने दोनों को कई दिनों तक तलास की परन्तु वे कही पर नहीं मिले|
कुछ समय बाद समाचार मिला की काजी ने एक लड़के को जन्म दिया है| सुबह और सांयकाल सच्चे प्रेमियों को वे दोनों घने जंगल में घूमते मिल जाते हैं| अब घना जंगल ही उन का निवास स्थान बन गया था| उन दोनों के नाम पर ही इस जंगल को काजीरंगा के नाम से जाना जाने लगा| कुछ समय बाद कर्बी ने पुनः ज्योतिषी से मुलाक़ात की | ज्योतिषी ने बताया की तुम काजी का लड़का अपने पास लाओगे| इस उम्मीद में कर्बी रोज जंगल में जाने लगा| एक दिन उसे एक महात्मा जंगल में मिले| उनको अपनी व्यथा बताई| महात्मा ने बताया की कल प्रातः काल मोरा धनश्री नदी की पूजा अर्चना करो और उसमें मेरे दिए हुए पुष्पों को विसर्जित करो| वहां पर तुम्हें इच्छित फल अवश्य मिलेगा|
कर्बी ने महात्मा के बताये अनुसार मोरा धनश्री नदी की पूजा अर्चना के साथ फूलो का विसर्जन किया और काजी रंगा के प्रति किये अपने दुरव्यवाहार के लिए क्षमा याचना की|इसके बाद कर्बी को नदी के दूसरे किनारे काजी और रंगा अपने बेटे के साथ खड़े दिखाई दिए|कर्बी ने उनको घर पर चलने को कहा| परन्तु उनहोंने बच्चा उनको सौंप दिया और कहा आज से यह आप के हवाले है| मोरा धनश्री नदी के पास आपको मिला है अतः आज से इस का नाम धनश्री होगा| आज से जो इस नदी पर आ कर पूजा अर्चना करेगा उस का प्यार परवान चढ़ेगा| काजीरंगा हमारे दोनों के नाम से जाना जाएगा| तभी से यह काजीरंगा के नाम से जाना जाने लगा|
अनवी इस कहानी से बहुत प्रभावित हुई| उसने मोरा धनश्री नदी पर जाने की इच्छा जताई|लाल चिड़िया उसको मोरा धनश्री नदी के तट पर ले गई |वहां के प्राक्रतिक दृश्य देख कर वह काफी प्रशन्न हो रही थी| उसने मोरा धनश्री नदी की पूजा अर्चना की | थोड़ी ही देर में नदी के दूसरे तट पर तेज हवा के साथ बादलों का झोंका आया और उसे नदी के उस पार क्काजी और रंगा दिखाई दिए| वह नदी पार कर उन के पास गयी और शान्ति से उन की प्रेम कहानी सुनी |
काजी कहने लगी; बहुत समय पहले की बात है हमारा गाँव पहाड़ी की तलहटी में हुआ करता था |एक दिन अचानक तेज बारिस आई और हमारे घासफूस के घर पानी के प्रवाह में बह गए|सामान की कोई सुधबुध नहीं थी|पशु और प्राणी सभी लाल प्रवाह में बह रहे थे| मैं भी पानी में बह रही थी| बचाव का कोई उपाय नहीं सूझ रहा था|अचानक एक युवक ने मुझे पानी में बहते देखा और मुझे बचने के लिए नदी में कूद पड़ा| काफी संघर्ष के बाद हम दोनो पानी से बाहर निकल पाए| परंतू हमारा सब कुछ लुट चुका था|हमारा दोनों का घर परिवार कुछ नहीं बचा था| हमने प्रभु की नियति समझ इसे स्वीकार किया| नए सिरे से बांस का एक घर बनाया| जंगल में उपलब्ध कन्दमूल खा कर गुजारा किया| हमारे दिन ठीक से गुजर रहे थे|
अभी हम एक दूसरे को अच्छे से समझ भी नहीं पाए थे की प्रकृति का एक कहर और हम पर टूटा| हाथियों के एक झुण्ड में लड़ाई हो गई और उसमें हमारा सब कुछ स्वाह हो गया| बड़ी मुसकिल से हमने अपनी जान बचाई|जंगली जानवरों का खतरा हमेशा बना रहता था|उस के बचाव के लिए हमने घने पेड़ों के मध्य जमीन में एक गुफा बनाई और उसको लकड़ियों और घास फूस से ढक दिया|उसके ऊपर हमने एक बांस की एक झोपड़ी बनाई| जंगल में रहना हम सीख चुके थे|हम दोनों मजदूरी करने लगे|जिससे घर का जरूरी सामन जुटाने लगे|एक बार पुनः हमारी गृहस्त की गाडी पटरी पर आई थी|अचानक एक भरी तूफ़ान में आस पास के पेड़ टूट कर गिर रहे थे|हमारी झोपड़ी भी टूट चुकी थी|लेकिन गुफा में छुप कर हमने अपनी जान बचाई|
हमने अपना जरुरी सामान उठाया और काम और सुरक्षित आवास की तलास में निकल पड़े| घूमते घूमते अचानक हमें एक पुराना भवन दिखाई दिया|पास आने पर पता चला की वह कोई मंदिर था| लेकिन अब खंडहर बन चुका था |साल के घने पेड़ों के मध्य एक बौध मंदिर में हमने अपना आश्रय बनाया| दिन में हम मंदिर में रहते और रात को मंदिर की छत पर छुप कर सोते| हमारे वहां रहने से मंदिर की साफ़ सफाई होने लगी| मंदिर के आहाते में ही हम अपना खाना बनाने और दिन में बैठने उठाने की व्यवस्था कर ली थी|
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