दो घंटे के सफ़र के बाद अनवी माया नगरी माँयोंग पहुंची|पोबित्तरो वन्य जीव अभ्यारण्य के गैंडे
और अन्य हिंसक जानवर इस गाँव में देखने को मिल जाते है| जंगल से घिरे इस गाँव में
पहुंचते ही एक अनछुए रहस्मयी स्थान पर पर पहुँचाने का आभाश होने लगता है|इस स्थान के
पारम्परिक महत्व का पता इसी तथ्य से लगता है कि इसे देश की जादू-टोने की राजधानी
माना जाता है। इस गांव की यात्रा कुछ ऐसे दुर्लभ तरीकों को देखने का अवसर दे सकती
है जो आधुनिक जगत को अप्राकृतिक लग सकते हैं परंतु ये किसी को भी हिला देने में
सक्षम हैं।गांव में
एक अनूठा उत्सव मायोंग-पोबित्र भी आयोजित किया जाता है जिसे जादू तथा वन्य जीवन के
संगम के रूप में मनाया जाता है।दिलचस्प है कि यहां रहने वालों को नहीं पता है कि
यह स्थान जादू-टोने के लिए किस तरह से इतना लोकप्रिय हो गया अथवा यहां जादू-टोने
का अभ्यास करने वाला पहला व्यक्ति कौन था? फिर भी अन्य विधाओं की ही तरह इस गांव
में जादू-टोने की ‘कला’ तथा ‘हुनर’ एक पीढ़ी से दूसरी को मिलता रहा है।
लाल चिड़िया ने अनवी को मायोंग गाँव के नज़दीक अभ्यारण्य में एक झोपड़ी के पास
पहुँचाया|वहां पहुंचते ही लाल चिड़िया ने अपने सामान्य आकर में आकर अपनी एक सहेली
को आवाज़ लगाई| युवती आवाज़ के साथ ही झोपड़ी से बाहर आ गई और उनका दिल से स्वागत किया|लाल चिड़िया ने अपनी
सहेली का परिचय करवाया |उसकी सहेली का नाम देवरी था| देवरी बिहू नृत्य की एक किस्म का नाम है|बिहू नृत्य के कई प्रकार हैं| उदाहरण के लिए
"देवरी बिहु नृत्य", "माइजिंग बिहु
नृत्य" रति बिहू इत्यादि| हालाँकि नृत्य का
मूल लक्ष्य एक ही रहता है| दर्द और खुशी दोनों को महसूस करने की इच्छा व्यक्त
करना।इस नृत्य शैली पर ही लाल चिड़िया की सहेली का नाम रखा गया था|
देवरी आकर्षक व्यक्तित्व की सुंदरी थी| बिहू
नृत्य के दौरान ही उसने अपनी पसंद के युवक से शादी कर ली थी| मायोंग गाँव में रह
कर देवरी ने जादू सीख लिया था| उसने पानी को अभिमंत्रित कर के लाल चिड़िया पर छींटे
मारे इस से लाल चिड़िया एक सुंदर युवती में परिवर्तित हो गयी|वह काला जादू के प्रभाव
से ही लाल चिड़िया बनी हुई थी|लाल चिड़िया से युवती बनी लड़की का नाम रति था| अब
देवरी रति और अनवी में अच्छी दोस्ती हो गई थी|अनवी ने पूछा यह सब आपने कब और कैसे
सीखा ? इस तरफ आप का झुकाव कैसे हुआ?
देवरी बताने लगी
मैंने बिहू नृत्य के दौरान लड़का पसंद किया था और इसके बाद शादी कर ली थी| मेरा पति
काफी सुंदर और स्वभाव का अच्छा था| हमारी एक पड़ोसिन ने मेरे पति को काला जादू से
मेंढा बना कर अपने घर बाँध लिया| मुझे इसकी जानकारी नहीं थी| में कई सालों तक अपने
पति को तलाश करती रही परन्तु सफलता नहीं मिली| में अपनी एक भैंस के साथ खेतों में
काम करती रही और अपना गुजरा करने लगी|खेतों में चावल और पास के तालाब में मच्छली
हो जाती थी|निचले असम के कुछ हिस्सों में जाली मौसम (धान की खेती का सबसे
व्यस्त मौसम जो जून में शुरू होता है और दिसंबर में खत्म होता है) के दौरान,
यहां का
लगभग हर किसान एक विशेष प्रकार का स्वदेशी चावल पर ज़ोर देता है। जिन्हें बोका साल
या 'मिट्टी चावल' के नाम से जाना जाता है।
यहां के किसानों को इस चावल के बारे में पता है। बता दें कि इस चावल को हाल ही में
बौद्धिक संपदा भारत (आईपीआई) द्वारा भौगोलिक संकेत (जी आई) टैग मिला है।बोका साल को
निचले असम के नलबारी, बारपेटा, गोल पारा, काम रूप, धरांग, धुबरी, चिरांग, बोंगाईगांव, कोकराझार, बक्का आदि स्थानों पर उगाया जाता है।यह खेतों में अपना खून पसीना बहाने वाले सैकड़ों किसानों के लिए ईंधन है और
उनका मुख्य खाद्य पदार्थ है।
बस इसी दिनचर्या से
गुजारा होने लगा|सुबह और सांयकाल घर के बाहर ताम्बुल(सुपारी) और शराब बेच कर अपना गुजारा करने लगी| असम के लोग शराब को अलग-अलग
विधा से तैयार करते हैं और यहां कई क्वालिटी की शराब मिलती हैं| असम में शराब
निषिद्ध नहीं है और लोग अपने-अपने घरों में भी शराब बनाते हैं| जतिंगा भारत के पूर्वोत्तर राज्य असम घाटी में एक गांव
है। यह गुवाहाटी के दक्षिण में 330 कि.मी. दूरी पर स्थित है। यह गांव पक्षियों के सामूहिक रूप एवं गोपनीयता
आत्महत्या के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है| मानसून के अंत में, विशेष रूप से चंद्रमा ना होने पर पक्षी कोहरे भरी रात
काली रातों में शाम 6 बजे से रात 9:30 बजे तक के बीच में परेशान हो कर प्रकाश की और
जाते हैं। इस समय वह मदहोशी में होते हैं और चारों ओर पेड़ के
साथ टकरा कर मर जाते हैं। इस घाटी में चुंबकीय शक्ति अचानक बदलने लगती है जिसकी वजह से पक्षी साधारण से अलग व्यवहार करते हैं|
उसके पति देबोग को मेढा बना कर पड़ोसन
ने बाँध लिया था| रात्रि में पुरुष बना कर घर में रख लेती थी|और सुबह पुनः मेंढा
बना देती थी|देवरी ने दस साल तक अपने पति को ढूंढा परन्तु सफलता नहीं मिली| अंत
में वह एक अघोरी बाबा के पास गई|उसको अपनी समस्या बताई | बाबा ने अपनी सिद्धियों
के प्रताप से बताया की उस का पति उसके सामने वाली पड़ोसन के घर में है| उसने उसको
मेंढा बना कर रख हुआ है| उसने बताया उसके पति कान में बाली पहनते थे|
इस पर देवरी ने बताया की हाँ, परन्तु वह तो केवल बायें कान में ही पहनते थे |
अघोरी ने बताया की उस मेंढे के भी बाएँ कान में ही बाली है| काला जादू से बाली का
स्वरूप या रंग नहीं बदलता| वह अपने वास्तविक रूप में ही रहती है|आरम्भ में तो
देबोंग उस से पीछा छुड़ा कर तुम्हारे पास आना चाहता था है| परन्तु अब उसको उस पड़ोसन
से ही प्यार हो गया है| अब वह दिन में आदमी बना रहे तो भी तुम्हारे पास नहीं
आएगा|यह सुन कर देवरी को काफी अफसोस हुआ|
इसके बाद देवरी ने बताया की मायोंग गाँव के एक हिस्से को बुढा माँयोंग कहते
है| दूर से देखने पर ये इलाक़ा भी देश के
किसी दूसरे गांव की तरह ही है| लेकिन जैसे-जैसे गांव की ओर बढ़ेगे, धड़कनें तेज़
होने लगाती है| गांव में घुसते ही एक अजीब सी जगह दिखाई देती है| ये वही जगह है, जहां तांत्रिक, तंत्र साधना करते हैं| इलाके के लोग
इसे बूढ़ा मायोंग भी कहते हैं| यहां मौजूद अजीबोगरीब चीज सब को हैरत में डाल देती है| और मायोंग के एक
तांत्रिक बताया कि ये वही जगह है, जहां हर 100 साल में एक बार नर बलि दी जाती है| इस शख्स के दावे को जांच ने को में आगे बढ़ी | वाकई यहां दो कबूतर
मौजूद थे|. इतने शोर-गुल के बाद भी कबूतर यहां से नहीं भागे| लोगों का दावा है कि
हर रोज़ दो कबूतर यहां अपने आप आते हैं और बलि को कबूल करते हैं|
देवरी ने थोड़ा रास्ता और तय किया तो पहाड़ों की चट्टानों पर भगवान की
प्रतिमाएं मिलीं| जिसमें से कुछ भगवान गणेश की थीं| और कुछ भगवान शंकर और मां पार्वती की| इलाके के
तांत्रिकों ने देवरी को एक योनि कुंड
दिखाया| देवरी को बताया गया कि इस कुंड
में भी तांत्रिक साधना किया करते थे| जिसके पास कुछ अजीबोगरीब मंत्र लिखे हुए हैं
और दावा किया जाता है कि मंत्रों की शक्ति की बदौलत ही इस कुंड में पानी हमेशा
मौजूद रहता है, जो गर्मी
के मौसम में भी नहीं सूखता|
बूढ़े मायोंग के लोग इतने सिद्धहस्त है की आदमी को ग़ायब कर देते है या फिर
उसको जानवर बना देते है|अपनी सम्मोहन शक्ति से जंगली जानवरों को पालतू पशु की तरह
बना कर घर के बाहर बांध देते है| अघोरी बाबा से कठिन साधना के बाद उसने भी काला
जादू सिखा है|काला जादू के प्रभाव से मैने पड़ोसन और अपने पति को पक्षी बनाया और
जतिंगा के पेड़ो से टकरा कर दोनों की मार दिया| इसके बाद मैने एक आदमी को
सम्मोहित कर के अपने घर रखा जो मेरे खेत और तालाब पर काम करता था|साप्ताहिक बाजार
में सामान बेच और ख़रीद कर लाता था|दस साल तक वह मेरे पास रहा और उसको घर की हर
सुविधा और सुख दिया ताकि वह यहीं पर ही रहने लगे| परन्तु में दस साल की अवधि में
भी उस का मन नहीं जीत सकी| इस के बाद मैने उसको काला जादू से मुक्त कर दिया| इसके
बाद जब वह अपने घर गया तो उसकी पत्नी और बच्चे ने उसे स्वीकार नहीं किया|
रति भी मुझे पबित्रो वन्य जीव प्राणी
अभ्यारण्य में मुझे घायल अवस्था में मिली थी|असल में यह एक शेरनी है| जादू से इसे
लड़की बनाया हुआ है| रति ने बताया की तीन शेरों में अपना अपना अधिपत्य ज़माने के लिए भयंकर लड़ाई हुई| इस लड़ाई में दो शेर तो वहीँ मारे
गए और तीसरा घायल हो कर गिर गया| इस लड़ाई में मै भी गंभीर रूप से घायल हो गई|
देवरी ने बताया की में घायल शेरनी को उठाकर घर नहीं ला सकती थी | इसको लाल चिड़िया
बना कर अपने घर ले आई|लम्बे इलाज के बाद यह स्वस्थ्य हो गई| काफी समय साथ रहने के
कारण हम दोनों में प्यार हो गया|मैंने काफी बार इसको कहा चलो मै तुम्हे जंगल में
तुम्हारे असली रूप( शेरनी) में छोड़ आती हूँ, परन्तु वह हर बार मना कर देती है|वह
हिंसात्मक जीवन से ऊब चुकी है|उसे मेरी दोस्ती और मेरा प्यार काफी पसंद आ रहा है|
मैंने इसे अपना आकार छोटा और बड़ा बनाना सिखा दिया है ,जिससे यह अपना बचाव हर संकट
में कर सकती है| अब इसकी दोस्ती तुम्हारे से भी हो रही है, यह एक अच्छा संकेत
है|मायोंग गाँव के बूढ़े मायोंग में योनी कुण्ड हिंदुओं की साधना के लिए और अष्टदल कुण्ड बोधिक तांत्रिकों के लिए है| देवरी ने बताया मुझे लोगों को कष्ट पहुँचाना
पसंद नहीं आता|मैं जादू का प्रयोग लोगो की भलाई के लिए करती हूँ| लोगों की बीमारियाँ
ठीक करती हूँ |मेरा प्रयास है की मै अपनी जादू विद्या से लोगो का जीवन ओर सुखी बना सकूँ |जो तंत्र साधक अपनी विद्या का प्रयोग दूसरों को कष्ट पहुँचाने में करते है
उनका अन्त समय भी यातानाओं से गुजरता है| मैं अपनी तंत्र विद्या का प्रयोग काफी
सोच समझ कर करती हूँ|
अनवी देवरी की बातों से काफी विचलित लग रही थी|जब उसे पता चला की लाल चिड़िया
वास्तव में एक शेरनी है तो उसे काफी डर लगा| परन्तु देवरी ने आश्वस्त किया की
दोस्त कभी किसी दोस्त को नुकसान नहीं पहुँचाते| इसके बाद देवरी ने ताम्बे की थाली
में पानी लिया और उसको अभिमन्त्रीत किया| मंत्रों के प्रभाव से पानी उबलने लगा और
थोड़ी देर बाद पानी ठंडा हो गया| उसमें कांच की तरह पर्तिबिम्ब दिखने लगा| वह अनवी
से कहने लगी ये देखो पबित्रो वन्य प्राणी अभ्यारण्य में वह बाग़ है जहाँ तुम लाल
चिड़िया, बन्दर और गैंडे के साथ खेला करती थी| यहीं पर तुम्हारे पास एक तितली भी आई
थी| ये सभी मेरे दोस्त है और मेरी सम्मोहन शक्ति से मेरे वश में रहते है| हम कभी
किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते है| हाँ अपनी सुरक्षा अवश्य करते है| एक सिंग वाला
गैंडा अपने परिवार के साथ हंसी ख़ुशी से रह रह है| नदी किनारे बाग़ हमारा मिलने का
स्थान है| में उसे एक फुट का आकार दे देती हूँ| मेरे निर्देशों के अनुसार ही वह
तुम्हारे साथ बाग़ में खेल रहा था| बन्दर भी मेरे मन्त्रों के प्रभाव से आकार में
छोटा और बड़ा हो जाता है| यह कामाख्या मंदिर के नज़दीक ब्रह्मपुत्र नदी के टापू पर बने
उमानंद मंदिर के पास बीमार अवस्था में मिला| इसका असली रंग सोने जैसा है| सुनहरा लंगूर (Golden langoor): ब्रह्मपुत्र नदी के आसपास पाया जाता है। अब इनकी
संख्या तेजी से घट रही है।असम के चिड़ियाघर के परिसर में विलुप्तप्राय: सुनहरे
लंगूरों के अस्तित्व को बचाने के लिए जल्द ही एक प्रजनन केन्द्र खोला जा रहा है| विशाल ब्रह्मपुत्र के पीकाक टापू पर
स्थित उमानंद मंदिर अपनी वास्तुशिल्पीये विशेषता के लिए जाना जाता है। भगवान शिव
को समर्पित इस मंदिर का निर्माण अहोम राजा गदाधर सिंह के शासन काल में हुआ था।
यहां हर साल फरवरी के महीने में पड़ने वाली शिवरात्रि के दौरान बड़ी संख्या में
श्रद्धालू आते हैं। मंदिर तो अपने आप में खूबसूरत है ही, पर मंदिर के चारों ओर बहने वाले
ब्रह्मपुत्र का नज़ारा मंत्रमुग्ध कर देने वाला होता है। उपचार के बाद इसको मैने
वापिस उमानंद मंदिर परिसर में छोड़ना चाहा परन्तु इसने मेरे सानिध्य में रहना ही पसंद
है|एक बार में नदी किनारे बाग़ में इस से साथ
बैठी खेल रही थी , प्यार से इसके बालों में हाथ घुमा रही थी| तभी एक प्यारी से तितली
मेरे सर पर बैठ गई और कहने लगी क्या सारा प्यार इसी में बाँट दोगी ? मुझे अपना दोस्त
नहीं बनाएगी ? मुझे उसकी भी दोस्ती पसंद आई | और अब यह तितली जिस भी प्राणी पर बैठती
है वह और तितली दोनो अदृश्य हो जाते है|इस प्रकार संकट में पड़े जीवो को अदृश्य कर उनका
बचाव कर देती है और इस का स्वयं का भी बचाव हो जाता है| इस थाली में प्रतिबिम्ब देख
कर में सभी से संपर्क बना लेती हूँ और उनकी समस्या का समाधान भी हो जाता है| अनवी को इस रहस्मयी दुनियां से काफी डर लग रह था|वह जंगल के जीवों में इतनी प्रगाढ़ मित्रता
और परोपकार की भावना से काफी प्रभावित हो रही थी|परन्तु उसे याद आया की उसकी छुट्टियाँ
ख़त्म होने को है|कल ही उसे अपनी पाठशाला जाना है|उसने रति से पाठशाला पहुँचाने का आग्रह
किया| रति पूर्व की तरह एक बड़ी लाल चिड़िया बन गई और अनवी को अपने ऊपर बैठा एक लम्बी
उड़ान के बाद गुरुग्राम पहुँचा दिया| अनवी ने लाल चिड़िया को अलविदा कहा और अपनी कक्षा
में पहुँच गई|
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